सराहना,हस्तक्षेप आ समीक्षा कइसे करे के चाहीं ?ई आजु के बिसय देले बाड़ भइया।
देख सराहल तब जाला जब कवनो काम भा चिजु आ भा बिचार साधारन से ऊपर होला आ देखते-सुनते करेजा में ढुकि जाला।
अब कवनो बाति में हतछेप के बिसय बा त भाई जले ओह बिसयवा के जानब-बुझब ना तले कइसे …..? हं कपार, अझुराई के सझुरावे के परि तब बुझाई जे कब आ काहवां हतछेप करे के बा।
अब देखीं हइ जवन समेच्छा सबद बा नु , उ सधारन चिजू ना ह एकरा के करे के पहिले ओकर गुन-औगुन देखे के परेला, ओमे का तिकड़म आ रजनीति बा इहो बुझे के परेला ।इहे ना पंच परमेसवर लेखा शुध मन से सोचि बिचारि के आपन बियाखिया करे के परेला।
देखीं हातना जो खटकरम ना करब त नीमन बा जे मूँह में जॉब लगा लीं, माने मवने रहीं।
ई जो ना करब त लोग
कही जे कहावे के अनेरिआ, चलावे के लधार।
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